मैंने देखा अज़ीब सी घटना,
जो थी बहुत खास ।
मानव खा रहे थे मांस,
व कुत्ते खा रहे थे घास ।।
उनके घर के बचे भोजन से ,
आज भी आ रही थी बांस ।
मेरे घर के बच्चों को छोड़ो ,
चूहें भी है उदास ।।
वहां होती अतिवृष्टि से
जीवन त्रास- त्रास ।
यहाँ फूटी अंख दृष्टि भी-
तक रही आकाश ।।
उनके जनम दिन पर आज-
लुटाये जा रहे वस्त्र खासम – खास ।
इनके मरण दिन पर आज –
एक कफ़न के लिए भी तरस रही है लाश ।।
ये भी पढ़े…;
तनहा ही रह गया